
कुछ घटनाएं लिखने को मजबूर कर देती हैं,
कुछ घटनाएं आत्मा को झकझोर देती हैं।
कल हुई घटना ऐसी ही है,
क्या कसूर था उस गर्भवती हथिनी का,
क्या कसूर था उस अबोध बालक का।
वह तो अभी तक जन्मा भी ना था,
फिर उसके साथ ऐसा क्यों हुआ??
मां बनने की चाहत हथिनी का कुसूर था??
इस दुनिया में आना उस अजन्मे बच्चे का कुसूर था??
क्या भावनाएं सिर्फ इंसानों की होती हैं,
क्या जानवरों में भावनाएं नहीं??
जैसे एक औरत बच्चे को जन्म देने के लिए उत्साहित है होती ,
पशु भी तो होते हैं वैसे ही।
पर हम मनुष्य उन्हें समझ नहीं पाते,
उनके दर्द हमें दिख नहीं पाते।
यहां कसूर किसका था?
असामाजिक तत्वों की गंदी सोच का,
उस इंसान को दिए गए संस्कारों का।
जिसे यह सिखाया गया कि अपनी खुशी के लिए जो चाहे करो,
अपनी मस्ती के लिए किसी की भी जान ले लो।
एक मां की, एक अजन्मे बच्चे की मौत हमें यह सिखा गई,
मानव की मानवता को समझने की बुद्धि जाने कहां चली गई।
ऐसे युग में कैसे जी पाएंगे,
इन वफादार पशुओं की बली देकर,
क्या खुद को मानव कह पाएंगे?????
Ritu
मूक दर्द।
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🙏🙏
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