
“”रिश्ते होते हैं इस नाव की तरह जो समुंदर के बीच में खड़ी है, रिश्ते होते हैं इस समुंदर की तरह जो नाव को संभाले खड़े हैं!!””
हमारी जिंदगी में बहुत से रिश्ते होते हैं,कुछ हम जन्म से पहले ही बना लेते हैं ,कुछ जन्म के बाद बनते हैं और कुछ अपनी समझऔर सूझबूझ से हम बनाते हैं। हर रिश्ते का अपना एक रंग होता है और हर रिश्ते को निभाने का एक अलग ढंग होता है। जो रिश्ता परिवार वालों के साथ होता है उसे हम सरलता ,संयम और प्रेम से निभाते हैं, जो रिश्ता समाज के साथ होता है उसमें केवल सम्मान होता है, जैसा सम्मान हमें मिलता है वैसा ही सम्मान हम दूसरों को देते हैं। दोस्ती के रिश्ते में प्यार और अधिकार होता है, यह वह रिश्ता है जो हम अपने आप बनाते हैं और सारी जिंदगी निभाते हैं। कुछ अनकहे रिश्ते भी होते हैं जो केवल आत्मा से जुड़े होते हैं ,इन रिश्तो को हम नाम नहीं दे सकते ,इस रिश्ते में आयु की सीमा नहीं होती बड़े छोटे का भेद नहीं होता ,अमीर गरीब का भेद नहीं होती ,बस जो मन को अच्छा लगे वह अपना है, जिस से रूह का मेल हो वह अपना है ।यह रिश्ते सहेज के रखने वाले होते हैं क्योंकि हम इसमें ना सम्मान से बंधे हैं ना परिवार से बंधे हैं ,केवल बंधे हैं आत्मिक संतुष्टि और आत्मिक प्रसन्नता से,जब यह रिश्ते टूटते हैं तो दिल को ठेस लगती है। रिश्ते एक नाव की तरह हैं जो दुनिया रूपी सागर में हमें समेट कर खड़े हैं जो हमें समुंदर में डूबने नहीं देते और हमें समुंदर की थपेड़ों से बचाते हैं। रिश्तो को हम समंदर भी कह सकते हैं क्योंकि जैसे समुद्र में असंख्यात लहरें होती हैं वैसे ही जब हम जन्म लेते हैं तब से लेकर हमारे मरण तक हम असंख्यात रिश्ते बनाते हैं जो हमें तरह-तरह का पाठ पढ़ाते हैं , कुछ आगे बढ़ना सिखाते हैं कुछ जीवन के सही रंग दिखाते हैं,और कुछ कष्टों को झेलने में हमारे साथ निरंतर खड़े रहते हैं , साथ चलते रहते हैं। यह हमें देखना और सोचना है कि किन रिश्तो को आगे लेकर चलना है। ज्यादा रिश्तो के बोझ को उठाने से अच्छा है प्यार से कम रिश्तो को निभाया जाए।यदि हम प्यार से रिश्ते निभाएंगे फिर वह कम हो या ज्यादा हम हमेशा खुश रहेंगे , अगर हम खुश रहेंगे तो दूसरों को भी खुशी दे पाएंगे। आज की भागदौड़ भरी दुनिया में खुशी से जीना सबसे ज्यादा जरूरी है। तो चलो हम विश्लेषण करें कि हम कौन से रिश्तो से बंधे हैं और हमें कौन से रिश्तों को लेकर आगे बढ़ना है !!!
ऋतु…
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