
क्यों कोई ऐसे करता है??
सोच के दिल डरता है,
ऐसी क्या मजबूरी थी??
ऐसी क्या परेशानी थी??
क्षण भर के आक्रोश में,
भावनाओं के आवेग में,
इंसान कमजोर हो जाता है,
वह अकेला हो जाता है,
दौलत ,शोहरत ,इज्जत ,
तब कुछ काम ना आता है,
जब दिल बेजार हो जाता है,
किसी से बात करने का सोचा होता,
दिल हल्का करने का सोचा होता ,
अपनों पे भरोसा तो किया होता ,
कुछ पल और तू जिया होता,
अपनी परेशानियां खत्म करने को,
तूने सोचा ये समाधान,
मां-बाप ,परिवार के लिए,
है यह विषाद महान,
तुम तो बिल्कुल सक्षम थे,
फिर क्यों कदम उठाया ये,
अदाकार गजब के थे,
अदाकारी ही कर गए,
मन मेरा सोचने को मजबूर है,
जीवन यह क्षण भंगुर है,
कल क्या होगा पता नहीं,
किसी की इसमें खता नहीं,
चकाचौंध भरी दुनिया का,
एक सत्य उजागर होता है,
बाहर से दिखता कुछ और,
अंदर और कुछ होता है,
तेरा नाच और तेरा खेल,
ये भी तो तेरे साथी थे,
इन्हीं से कुछ पल बतियाता,
शायद मन शांति पा जाता ,
पर तू तो हिम्मत हार चुका था,
पहले ही खुद को मार चुका था,
बस एक खयाल यह आता है,
मन का दुख क्या इतना भर जाता है??
क्या और कोई रास्ता ना सूझ पाता है??
जो इंसान जिंदगी हार जाता है,
जो इंसान जिंदगी हार जाता है।

बहुत अच्छी तरह से स्थिति का विशलेषण किया है
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