कुछ कविताएं जिंदगी की नजर !!

१
क्यों जिंदगी की राहें उलझ जाती हैं,
क्यों सीधा-सीधा चलते भी मंजिलें बिछड़ जाती हैं,
क्यों जो अपने लगते हैं, बेगाने हो जाते हैं,
क्यों अपने ही चेहरे अनजाने हो जाते हैं,
जिन पर कभी नाज था क्यों वो बेमाने हो जाते हैं,,
कुछ सवालों का जवाब ढूंढती जिंदगी में,
क्यों आंखें नम हो जाती है,
क्यों जिंदगी की राहें उलझ जाती हैं,
क्यों सीधा सीधा चलते भी मंजिलें बिछड़ जाती हैं????????
२
जिंदगी अबूझ पहेली सी है,
जैसी भी है एक सहेली सी है।
खुशी और गम में साथ देती है,
कभी मुश्किल में फंसाती ,
कभी हर मुश्किल से निकाल लेती है।
कभी विचारों का मंथन कराती ,
कभी उन्हीं विचारों के भंवर से निकाल लेती है।
और कोई दे ना दे जिंदगी जरूर साथ देती है।
कभी नरम तो कभी हठीली सी है,
कभी भीड़ तो कभी अकेली सी है।
जिंदगी अबूझ पहेली सी है ,
जैसी भी है एक सहेली सी है!!
३
जिंदगी के फलसफे भी अजीब होते हैं,
कभी हम किसी के और कभी किसी के करीब होते हैं,
कोई हमसफ़र हमेशा साथ चले ये भी नसीब होते हैं,
कोई रिश्तों से अमीर तो कोई गरीब होते हैं,
कुछ ख्वाब अधूरे कुछ बेतरतीब होते हैं,
जिंदगी के फलसफे भी अजीब होते हैं।
४
कहते हैं कि इंतिहान लेना जिंदगी का काम है,
पर ये इतना कहां आसान है,
कहीं शिकवे कहीं शिकायतें,
कहीं प्यार कहीं मोहब्बतें,
फिर भी सब इससे अनजान है।
कौन कहता है जिंदगी बेजान है?
इसी जिंदगी में तो सिमटी सबकी जान है।
फिर क्या हुआ अगर यह इम्तिहान है,
जो हंसी खुशी बिताए इसे,
उसी का तो खिलता जहान है।
फिर क्या हुआ गर कोई परेशान है,
परेशानियों में ही तो खिलती मुस्कान है।
सुख नहीं रहा तो दुख भी नहीं रहेगा,
यही जिंदगी की पहचान है!!!
५
जिंदगी के मसलों को
खुरशीदे जस्त कर लो,
आफरीने हयात से थोड़ी तो उल्फत कर लो,
फ़िक्र ए फानी में तो मुश्त ए खाक हो जाओगे।
उश्शा़क न होंगे तो यूं ही बिखर जाओगे।
- ऋतु

आपकी लेखन प्रतिभा अद्भुत है
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🙏🙏
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Nice lines
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बहुत सुंदर तरीके से अभिव्यक्त किया है ।👌👌
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🙏🙏
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Very nice
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Thankssss
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