कविता में एक नया प्रयास कर रही हूं , आशा करती हूं आपको पसंद आएगा ।
जय श्री हमको चाहिए ,
भाग्यश्री हमको चाहिए ,
प्यार की जूही खिला ,
नफरत को मिटाइए , नफरत को मिटाइए ।।
पूजा हो यहां सभी की ,
रेखा ना हो दुश्मनी की ,
हीरा नहीं तो ,
नीलम ही बन जाइए ,
नफरत को मिटाइए , नफरत को मिटाइए ।।
एकता हो हर जगह पर ,
विजेता बने सब इस धरा पर ,
पराजित को न सताइए ,
नफरत को मिटाइए , नफरत को मिटाइए ।।
माधुरी ही माधुरी हो ,
प्रेम की मंदाकिनी हो ,
बीना मन की बजाइए ,
नफरत को मिटाइए , नफरत को मिटाइए ।।
दीपिका मन में जलाइए ,
श्रद्धा को भी बुलाइए ,
नैनो में काजल बन घुल जाइए ,
नफरत को मिटाइए , नफरत को मिटाइए ।।
भूमि की हर कृति को प्रेम से अपनाइए ,
शिल्पा बन हर किसी के जीवन को महकाइए ,
नफरत को मिटाइए नफरत को मिटाइए ।।
दूसरों को सही दिशा दिखलाइए ,
राधिका सा प्रेम , अनुष्का सा साहस ,
सबके मन में जगाइए ,
नफरत को मिटाइए , नफरत को मिटाइए ।।
जी हां आपने सही पहचाना , इस कविता में अभिनेत्रियों के नामों का प्रयोग किया गया है , कुछ नाम पुराने हैं क्योंकि यह कविता मैंने 93 में लिखी थी , कुछ पंक्तियां आज जुड़ी हैं ।
Great 👍
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Thanks🌈🌈
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Wah ….. 👍
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😊😊🙏🙏
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umda 💞
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🙏🙏🤗🤗
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हमारे देश में वर्तमान स्थिति के लिए भी सार्थक ।सुंदर रचना।
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खूब-खूब आभार 🙏🙏
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🌷
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