बिन बाप की बेटी को,
मां ने एक तोहफा दिया,
तोहफे का नाम था पापा,
मां के लिए बेटी खुश थी,
कैसे कटती मां की अकेले जिंदगी,
यह फैसला थोड़ा मुश्किल था ,
पर बेटी को लेना पड़ा ।
उसने सोचा ,
जब छोटी थी तो पिता चल बसे ,
शायद फिर से वही प्यार मिले ,
उसने इस रिश्ते को सब कुछ दिया ,
प्यार , समर्पण ,
पिता का स्थान तक दिया ,
बदले में उसे क्या मिला ??
धोखा , धोखा सिर्फ धोखा !!
फिर भी वो खामोश रही ,
सब चुपचाप सहती रही ।
क्योंकि मां की खुशी उसे बड़ी लगी ,
मां भी इस गलतफहमी में थी ,
कि उसकी इज्जत है हो रही ।
न इज्जत न प्यार वहां कुछ ना था ,
जीवन साथी बनने का सौदा था ।
मां ने सब कुछ अर्पण कर दिया ,
पर बदले में उसे भी क्या मिला ?
धोखा , धोखा सिर्फ धोखा !!
इतने साल की सेवा का ,
मिला उसे क्या सिला ?
सेवा कुछ पाने के लिए ना की ,
क्या हकदार वो इज्जत की ना थी ?
पिछले रिश्ते छोड़ चली वो ,
हर कदम पर साथ खड़ी वो ।
क्या हैसियत उसकी नौकर की थी ,
जो इस नए रिश्ते ने उसे ठोकर दी ।
20 साल के समर्पण का ,
ऐसा अंत होगा पता ना था ।
बेटी के पापा फिर से चल दिए ,
उसके फिर से आंसू बह गए ,
उसने तो खूब प्यार दिया था ,
अपने पिता का स्थान दिया था ,
पर जो मां का ना हो सका वो बेटी का क्या होता ।
नसीब में आया फिर से ,
धोखा , धोखा सिर्फ धोखा !!
घड़ी मजबूत होने की आई ,
मां की आंखें फिर छलक आई ।
महलों में रहने वाली के सर पे ,
अब एक छत भी ना रही ,
पर बेटी अब कमजोर ना थी ,
उसके परिवार की ताकत अब साथ थी ,
सब समेट मां बेटी निकल गईं ,
नये शहर में खुशियां ढूंढने नयीं ,
बेटी ने जिम्मेवारी उठाई ,
मां को अपने संग ले आई ,
जमां पूंजी सारी लगा कर ,
मां ने आखिर छत तो पाई ,
बेटी ने मां में हिम्मत जगाई ,
मां की नई गृहस्ती सजाई ,
मां थोड़ा सा फिर मुस्काई ।
बेटी ने बेटा बनने की कोशिश की ,
पता नहीं कितनी सफल हुई !!
मां सब भूल आगे बढ़ गई ,
पर मन में एक फांस थी चुभ गई ।
सब रिश्ते पैसों के हैं ,
सब नाते पैसों के हैं ,
कदर नहीं किसी को आज ,
क्या समाज क्या रिश्तेदार ,
धोखा देने को सब हैं तैयार।
खुद को दृढ़ बनाना है ,
खुद को यह समझाना है ,
जो हुआ अच्छा हुआ ,
जिंदगी का तजुर्बा हुआ ,
जिंदगी का तजुर्बा हुआ !!
Heart touching
LikeLiked by 1 person
🙏🙏♥️♥️
LikeLike
Heart touching
LikeLiked by 1 person
🙏🙏
LikeLike
Ritu ji, I just came across ur blogs by chance and must say it was becoz of the charismatic dp .More u write more u prove urself ….that u r nt worth being a writer … ur ideas r childish , examples frivolous , writing style redundant and blogs are more or less grammatically incorrect ….u must be above 40 but ur blogs r like those of under 4 …half cooked ideas of urs are really annoying at times…..let the blog world survive n thrive
हिंदी में अगर आपके लेखन की चर्चा की जाए तो यही मान लीजिए की आप बहुत बेतुका ऐवम वाहियात लिखती हैं।
LikeLike
Thanks for the comment. I will surely take that into consideration. Feedbacks like these improves my writing.
LikeLike
Touching
LikeLiked by 1 person
🙏🙏
LikeLike
आपने जीवन की वास्तविकता को चित्रित किया है । समाज संबंधहीनता की ओर अग्रसर है । समाज में अपना स्थान बनाने के लिए मजबूती के साथ खड़े होना पड़ता है । कविता अपने आप पर विश्वास को जगाती है ।
LikeLiked by 1 person
🙏🙏धन्यवाद🙏🙏
LikeLike
It’s not always about words or poetry etc but some time its about emotions pain n Inner feelings that jst simply pour out… thats good bcoz its straight frm heart
LikeLiked by 1 person
🙏🙏
LikeLike