समाज क्या है ?
मैं कहूंगी – जो समझ ना आए वह है समाज ।
आप सोचेंगे मैं ऐसा क्यों कह रही हूं ? क्या मैं सही नहीं हूं ? क्या आपको समाज समझ आता है ? क्या समाज की बातें समझ आती हैं ?
” हमारे जीवन का एक ही रोग ,
क्या कहेगा समाज ,
और क्या कहेंगे लोग !! “
असंख्यात योनियों में भटकने के बाद प्रभु ने हमें मनुष्य जीवन दिया और हम इस अमूल्य जीवन को बर्बाद कर रहे हैं इस तथाकथित समाज के बारे में सोच के । शास्त्रों में भी कहा गया है मनुष्य समाज का निर्माण करता है । आज इसके विपरीत हो रहा है समाज मनुष्य को निर्मित करने का कार्य कर रहा है ,
कैसे ?
आजकल 12वीं की परीक्षा के नतीजे के बाद बच्चों का मानसिक मंथन चल रहा है कि वह अपने उज्जवल भविष्य के लिए कौन सा विषय चुने । यदि उनकी रूचि कलात्मक विषयों जैसे कि नृत्य , संगीत , फैशन डिजाइनिंग , होम साइंस , आर्ट एंड क्राफ्ट और ब्यूटीशियन के कोर्स में है तो उन्हें यह कहा जाता है ” यह क्या पढ़ने योग्य विषय है ? इसकी पढ़ाई करके क्या काम करोगे ? समाज क्या कहेगा ? लोग क्या कहेंगे ? यह रद्दी और मानक के नीचे के काम हैं , अच्छे घरों के बच्चे यह काम नहीं करते । “
यह किसने निश्चित किया कि तथाकथित अच्छे घरों के बच्चे डॉक्टर , वकील , इंजीनियर या व्यापारी ही बन सकते हैं ?
नौकरी कौन सी करनी चाहिए यह भी समाज की सोच तय करती है , कॉल सेंटर में जॉब लगी तो ” रात को काम पर जाओगे तो लोग क्या कहेंगे ? लोग बातें बनाएंगे इससे बेहतर है तुम घर बैठ जाओ । ” ऐसी अनेक नौकरियां हैं जो समाज के मापदंड पर खरी नहीं उतरतीं ।
नई- नई शादी के बाद अगर पति – पत्नी परिवार को आगे नहीं बढ़ाना चाहते तो समाज का बीच में आना जन्मसिद्ध अधिकार हो जाता है , ” अरे शादी को इतना समय हो गया अभी तक खुशखबरी नहीं सुनाई , लोग चार बातें करते हैं , बच्चा समय पर हो जाना चाहिए । परिवार वाले पूछते हैं , ” कोई परेशानी तो नहीं है , डॉक्टर को दिखाया ? अगर कोई कमजोरी निकल आई तो समाज क्या कहेगा ? हम तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे । “
लॉकडाउन में बहुत सी महिलाओं ने घर से काम करना शुरू कर दिया , उनमें से एक है घर का भोजन और विभिन्न तरह के व्यंजन बनाकर बेचना महिलाओं को यह काम करता देख समाज की भौंहें तन गई , ” अरे तुम नहीं जानते इनको आर्थिक तंगी चल रही है तभी तो घर की बहू बेटियों से काम करा कर चार पैसे बना रहे हैं । ” परिवार वाले कहते हैं , ” लोग क्या कहेंगे ? अब खाना बना कर बेचोगी , क्या इज्जत रह जाएगी समाज में। “
यदि कोई युवान अभी शादी करने को उत्सुक नहीं है तो घरवाले उसे यह कहेंगे ” उम्र बढ़ती जा रही है लोग क्या कहेंगे ? समाज में बातें बनेगी शादी कर लो जल्दी । ”
उफ्फ !!
समाज ना हुआ काउंसलर हो गया , समाज ना हुआ नौकरी देने वाली संस्था हो गई , समाज ना हुआ डॉक्टर हो गया , समाज ना हुआ इज्जत तोलने की मशीन हो गई और समाज ना हुआ मैरिज ब्यूरो हो गया ।
अरे भाई , जिस विषय में रुचि है पढ़ लेंगे , जिस नौकरी में सुकून मिले कर लेंगे , आप से मांग कर तो नहीं खा रहे ?जब एक बच्चे की जिम्मेवारी उठाने लायक हो जाएंगे तो परिवार बढा लेंगे , अपने नए-नए पकवान बनाने के शौक को पूरा करने और खाली समय व्यतीत करने के लिए काम कर रहे हैं , खुद में खुद को ढूंढ रहे हैं । शादी अपने पैरों पर खड़े होकर करना चाहते हैं , किसी की जिम्मेवारी उठाने लायक होना चाहते हैं ।
आपको क्या आपत्ति है ?
समाज के लोगों का तो मानो आजकल एक ही शौक हो गया है , दूसरों की जिंदगी में दखल देना एवं दूसरों के घरों में झांकना । पहले स्वयं निरीक्षण तो कर लें यह समाज के ठेकेदार । समाज ने तो भगवान राम को भी चैन से जीने नहीं दिया था फिर हमारी क्या बिसात है ?
” जीवन रहेगा तो अपने लिए जी पाओगे ,
मरने के बाद कैसे मन की कर पाओगे । “
बहुत सुन्दर शब्द
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🙏🌈🙏
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Kadwa sach
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🤗😊🤗
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Well said.. its so true
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🌈🥰🌈 Thanks
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👌👌
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🤩🌈🤩
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