कबाड़ी वाला , कबाड़िया या भंगार वाला आखिर होता कौन है ?
कबाड़ी वाला वह व्यक्ति होता है जो घर का फालतू सामान जैसे कि रद्दी , खाली डब्बे , खाली बोतलें , बेकार गत्ते आदि खरीद कर उसके बदले पैसे देकर जाता है और हमारे घर को कबाड़ मुक्त करता है । सुबह – सुबह मेरे घर के बाहर से बहुत सारे कबाड़ी वाले निकलते हैं जो माइक लेकर बोलते हैं ,
” पुराना सोफा बेचो , पुराना टीवी बेचो , पुराना कंप्यूटर बेचो , पुराना फ्रिज बेचो , पुराना अखबार बेचो “
वास्तु शास्त्र में भी उल्लेख है कि घर मे फालतू सामान होने से घर का भार बढ़ता है और बरकत नहीं होती , यदि घर में सुख शांति चाहिए तो उपयोग में ना आने वाली वस्तुओं को घर से निकाल देना चाहिए । इसी संदर्भ में वास्तु शास्त्री कहते हैं ,
” घर में उन वस्तुओं को ना रखे जिन से नकारात्मक ऊर्जा का विकास हो क्योंकि इनसे दुख की प्राप्ति होती है ।”
यदि हम घर में सुख शांति चाहते हैं तो हमें अपने घर से नकारात्मक वस्तुओं को निकाल देना चाहिए परंतु क्या आत्मिक सुख के लिए केवल घर से नकारात्मक वस्तुओं को निकालना काफी होगा ?
हमारे ह्रदय में भी अनेक नकारात्मक भावनाएं हैं जिनका त्याग करना सुख पाने के लिए आवश्यक है परंतु हम केवल घर से ही बेकार की वस्तुएं निकाल कर बाहर फेंक सुख के अभिलाषी हो जाते हैं और सुख ना मिलने पर हम वास्तु शास्त्र पर आरोप लगाते हैं कि यह मिथ्या और बेकार है ।
मेरे मन में कई बार खयाल आता है कि काश कोई ऐसा कबाड़ी वाला आए जो हमारे ह्रदय की नफरत , अहंकार , राग – द्वेष , क्रोध और ईर्ष्या हम से खरीद कर ले जाए क्योंकि यह ऐसी वस्तुएं हैं जिनकी हमें आवश्यकता नहीं । यह नकारात्मक भावनाएं जब तक हमारे मन में रहेंगी तब तक हम शांति का अनुभव नहीं कर सकते , सुखी नहीं रह सकते ।
असल में हमारे जीवन का भंगार यह भावनाएं ही तो हैं जिनसे हमें पीछा छुड़ाना है, जिनके घर में रहते हुए हम उन्नति नहीं कर सकते, दूसरों का मान नहीं कर सकते , दूसरों से प्रेम नहीं कर सकते । फिर ऐसे जीवन का क्या महत्व ?
जिस जीवन में स्वार्थ निहित हो वह जीवन भंगार के समान ही है । प्रभु हमें अनेकानेक बार संकेत देते हैं कि संभल जाओ परंतु हम उन संकेतों को अनदेखा और अनसुना कर देते हैं । बहुत भाग लिए भौतिक सुविधाओं के पीछे , क्या मिला इस दौड़ से ? कुछ नहीं ! जो था वह भी खत्म हो गया । समय आ गया है कि भौतिक सुविधाएं छोड़कर आध्यात्मिक सुविधाओं की तलाश करें , अपनी आत्मा को परमात्मा से जोड़ने का प्रयास करें , यह थोड़ा कठिन कार्य है परंतु हम अपने सद्कार्यों से , दूसरों की निस्वार्थ सेवा और सौहार्दपूर्ण व्यवहार से इस कार्य को सरल बना कर हम स्वयं को परमात्मा से जोड़ सकते हैं । सच्चे अर्थों में हम तभी सुख प्राप्त कर पाएंगे ।
काश कोई ऐसा भंगार वाला आए जो हमसे यह सब भावनाएं बिना मोल ही ले जाए , काश कोई ऐसा कबाड़ी वाला आए जो आवाज लगाए ,
” दुख दर्द दे दो खुशियां ले लो , अहंकार दे दो सरलता ले लो , क्रोध दे दो समता ले लो , नफरत दे दो प्यार ले लो , ईर्ष्या दे दो संतोष ले लो “
Bhout sunder
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धन्यवाद 🙏🙏
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रितु जी आपने बहुत सुंदर लिखा है हम सबको कबाड़ी वाले की जरूरत है जो हमारी बुराई ले जाए और उसके बदले में अच्छाई दे जाए
ऋषि जैन
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🙏🙏🥰🥰♥️♥️
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👌👌👏👏
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😊😊 कृपया आप अपना नाम भी कमेंट के साथ लिख दिया कीजिए , समझ नहीं आता कौन है।
समय निकालकर आपने मेरा लेख पढ़ा उसके लिए आभार 🙏🙏
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Btfl content
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Thanks 🥰🥰😊😊♥️♥️
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अतिसुंदर!!
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😊😊🥰🥰🙏🙏
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Very nice
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Thanks🥰🥰
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Three cheers for my sis …. what all thoughts u come up with… great going u hv shaken mind n heart of many i think …. thoughts to think upon..👍🏼
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Three cheers for my sis …. what all thoughts u come up with… great going u hv shaken mind n heart of many i think …. thoughts to think upon..👍🏼
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Thanks dear …….🥰🥰🥰
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