
आज ना जाने क्यों मन विचरते हुए करोना वार्ड में चला गया , सब की बेबसी देख दिल दहल गया । इंटेंसिव केयर यूनिट खचाखच भरा हुआ था और वार्ड भी । पीपीई किट में नर्सेज और स्टाफ मानो खुद से ही जंग लड़ रहे थे । हम सोच भी नहीं सकते कितना कठिन है इतनी लेयर्स पहन के भागदौड़ करके रोगियों का ध्यान रखना । कईं बार दिल घबरा भी जाता होगा परंतु फिर भी डटकर खड़े हैं यह सेनानी । कुछ पेशंट्स थोड़े नॉर्मल लगे , कुछ बेहोशी के आलम में थे । कुछ इतने कमजोर के सामने पड़ा चाय का कप नहीं उठा सकते । कुछ रोगियों के क्रंदन भरे स्वर आत्मा को झकझोर गए । कुछ रोगियों की चीखें रोंगटे खड़े कर गईं । दर्द से छटपटाते रोगियों की ह्रदय विदारक चीखें विचलित कर गईं । ऐसी भयंकर वेदना भगवान किसी को ना दे परंतु जो किस्मत में लिखा है उसे कोई बदल नहीं सकता । इस भीषण बीमारी में कोई अपना सगा संबंधी साथ नहीं , किसी अपने का हाथ नहीं , बस शून्य में ताकते रोगी जीवन का हिसाब – किताब करते नजर आए , पाप और पुण्य सब सामने दिख रहा होगा , यह पता नहीं कि यहां से निकल पाएंगे या नहीं , मन भी अति व्यग्र होगा पर कहें किससे ? ना ही कोई सुनने वाला ना ही समझने वाला । मन में विचार तो आते होंगे और खूब पीड़ा पहुंचाते होंगे । अपनों को देख भी पाएंगे या नहीं यही ख्याल बार-बार आता होगा । सोचते होंगे ऐसा क्या किया जो यह वेदना पाई । बेड सोल की पीड़ा भी सताती होगी । ऑक्सीजन और वेंटीलेटर की पाइपें अति दुखदाई होंगी । जाने क्या चलता होगा मन में । कुछ मन में निश्चित भी करते होंगे कि यदि यहां से निकल गए तो ऐसा करेंगे या वैसा करेंगे । प्रत्येक क्षण प्रभु का सिमरन करते होंगे । मन विचलित हो उठा और बाहर की ओर निकला और विचार करने लगा जो रोगी सक्षम है वह तो अस्पताल में पहुंच गए और जो इलाज का खर्च नहीं कर सकते उनका क्या ? इलाज के साथ रोगियों का यह हाल है बिना इलाज के जाने क्या होगा । काश यह सब यहीं समाप्त हो जाए । बहुत कुछ खो चुके अब खोने की क्षमता नहीं । अपनों की तकलीफ देख दिल बहुत रोया….. अब बस !
कभी सोचा ना था एक ही बीमारी से एक ही समय में पूरे विश्व में इतने प्राण संकट में पड़ेंगे और कितने ही प्राण पखेरू उड़ जाएंगे ।
क्या विनाश लीला शुरू हो गई ?
क्या प्रलय का समय आ गया ?
बहुत कुछ बिखर गया परंतु अब भी हम काफी कुछ समेट सकते हैं , सतर्कता बरतना अति आवश्यक है । अगर कोई हमें बेवकूफ या डरपोक कहता है तो ठीक है हम डरपोक ही सही परंतु अपने घर में सुरक्षित हैं ।
आप सभी से निवेदन है कि आप अपने परिवार के लिए अति महत्वपूर्ण है तो यथासंभव सावधानी बरतें और अपने परिवार को भी सुरक्षित रखें । मैं मानती हूं रोजी – रोटी के लिए बाहर जाना आवश्यक है परंतु उसके अलावा कृपया बाहर मत जाइए । यदि जीवित रहे तो शादी आदि प्रसंगों में भी सम्मिलित हो पाएंगे , यदि श्वास चलते रहे तो दूसरों के दुख में भी सम्मिलित हो रिश्ते – नाते निभा पाएंगे । इस आपदा में हमें हिम्मत नहीं हारनी अपितु अपनी इच्छा शक्ति मजबूत रख इस महामारी को हराना है । सबके साथ से यह संभव है । इस माहौल में भी हमें सकारात्मकता का दामन नहीं छोड़ना ।
” ये समय भी निकल जाएगा तू गम ना कर ,
हर मुश्किल आसान होगी प्रयत्न तो कर ,
सावधानी बरत अब तो संभल ,
तभी तो खुद को बचा पाएगा ,
परिवार को भी सुरक्षित निकाल लाएगा ।। “
अंत में इतना ही कहूंगी कि सुरक्षित रहें , स्वस्थ रहें 🙏🙏

बिल्कुल सही वर्णन किया है आपने कोविड-19 के बारे में , अब तो यह डर लग रहा है कि एक-एक दिन करके जी रहे हैं कल का कुछ नहीं पता ऊपर वाले की मर्जी के बगैर पता भी नहीं हिल सकता, बाकी इस दौरान जो नास्तिक थे वह भी आस्तिक हो गए
आरजे
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आपका खूब खूब आभार 🙏🙏
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महामारी का अच्छे से सुन्दर शब्दो मे लिखना कोई रितु से सीखे
विजय
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Thanku ji❤️❤️
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Bahut h acha likha hai apne
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आपका दिल से आभार 🙏🙏
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☺🤗
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sahi kaha apne
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🙏🙏
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🙏🙏bahut acha likha
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Thanks ☺️
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